एक समय था जब ज्योति पिल्लई मेरे बिना खाना तक नही खाती थी, वा इतना प्यार करती थी की शायद मुझे उसके अलावा और काई भी इतना प्यार नहीं दे पायेगा, लेकिन किस्मत को भी ये ही मंजूर था, मेरा साथ उससे टुटना मेरा दुर्भाग्य था, मेरे जीवन को प्यार से सिंचित करना ही केवल उसके प्रेम की निष्ठा थी, मैने जितना प्यार उसको दिया, लगता है इस जन्म में उसे इतना प्यार करने वाला और कोई नहीं मिलेगा, अमित के साथ उसकी शादी होना उसके जीवन का एक अच्छा पल था, जंहां तक में समझता हुं, अमिज जी उज्जैन वाले जो कि जैन धर्म से है, ज्योति से बहुत प्यार करतें हैा भगवान करें उन दोनो का प्यार 10 जन्म तक सलामत रहेंा मेरी शुभकामनाएं उन दोनो के साथ हैा
हमारे प्यार की शुरूआत- भवानीमंडी राजस्थान में मेरा कम्प्यूटर प्रशिक्षण संस्थान था, उस समय मेरे मित्र विमल ने मेरी मुलाकात ज्योति पिल्लई से कराईा पहली नजर में ही मेरे दिल में ज्योति ने जगह बना ली थी, उसके बिना रहना मुझे बिल्कुल गवारा नहीं था, हम 4 वर्ष तक साथ साथ रहे, गांधीसागर भी साथ घुमने गये, हमारा 4 वर्षो का समय किस प्रकार से गुजरा इसके लिए मेरे पास एक भी शब्द नहीं है
धन्य ज्योति
लेकिन अब शायद ये प्यार अमित के नसीब में लिखा था, में आज भी ज्योति से बेतन्हा प्यार करता हुं, करता रहुंगा, आई लब यू ज्योति
आपका
विनोद व्यास
No comments:
Post a Comment